तुमसे रुठ भी जाऊं तो प्रिय ,
नजदीकियों का इंतज़ार होता है ।
हमारे दरमियाँ तैरती खामोशियों पर ,
"सुनो तो" का असर हर बार होता है ।
शिकवे शिकायतें लगे रहेंगे हमेशा मगर
तुम्हारा मुस्कुरा देना भी मनुहार होता है ।
ये संग महज आसां राहों का नही ,
तुम्हारे दुःखो पर भी मेरा अधिकार होता है ।
नाराज़गी की गिरह जब जब खुले ,
नयी शुरुवात जैसे कोई त्यौहार होता है ।
मेरे व्रत ,पूजन, धागे सब तुम्हारी खातिर,
चाँद से सजदा मेरा यही हर बार होता है ।
ये कैसा रिश्ता सात फेरो में बंधा ,
शिकायत जिनसे उन्ही से गहरा प्यार होता है।
(करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं)
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