सितम की बिजली गिरा रहे हो
मेरे ह्रदय को जला रहे हो
हो कैसे हमदम जो मेरे दुख में
ओ जान तुम मुस्कुरा रहे हो
बसाया हमने जिगर मे तुमको
तो तुम नजर क्यों फिरा रहे हो
हुई क्या ऐसी खता मेरे से
क्यों तोड़ कर दिल को जा रहे हो
तुम्हे बनाया है हमने प्रियतम
औ हाँथ तुम ही छुड़ा रहे हो
हो बेमुरब्बत या संग दिल हो
क्यों जुल्म मेरे पे ढा रहे हो
शुरू की थी तुमसे दिल की दुनियाँ
उसे तुम्हीं क्यों मिटा रहे हो
मै राज तेरे पे मर मिटा हूँ
तो पास तुम किसके जा रहे हो.
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