भीङ में भी तन्हा था मैं
खुद से ही कुछ खफा था में.....
जिन्दगी से नाराज था मैं..
उङने को आसमानों में बेताब था मैं.....
कैसे लगते पंख उङानो को..
जब किस्मत से भी हताश था मैं......
हर तरफ इम्तिहान की बारिश..
खुद को साबित करने की ख्वाहिश....
जिन्दगी में कुछ अधूरापन है..
उसको समझने की है एक कोशिश....
हर लम्हे में है खुद की आजमाइश..
शायद खुद की तलाश है जिन्दगी.....
ख्वाब जो देखे उनसे मिलना है जिन्दगी
खुद की खुशी औरो में ढूँढना है जिन्दगी.....
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