ज़िन्दगी

ALK
By -
0
*ज़िन्दगी से लम्हे चुरा*
*बटुए मे रखता रहा!*

*फुरसत से खरचूंगा*
*बस यही सोचता रहा।*

*उधड़ती रही जेब*
*करता रहा तुरपाई*

*फिसलती रही खुशियाँ*
*करता रहा भरपाई।*

*इक दिन फुरसत पायी*
*सोचा .......*
*खुद को आज रिझाऊं*
*बरसों से जो जोड़े*
*वो लम्हे खर्च आऊं।*

*खोला बटुआ..लम्हे न थे*
*जाने कहाँ रीत गए!*

*मैंने तो खर्चे नही*
*जाने कैसे बीत गए !!*

*फुरसत मिली थी सोचा*
*खुद से ही मिल आऊं।*

*आईने में देखा जो*
*पहचान ही न पाऊँ।*

*ध्यान से देखा बालों पे*
*चांदी सा चढ़ा था,*

*था तो मुझ जैसा*
*जाने कौन खड़ा था।*

Post a Comment

0Comments

Thanks for your valuable message.
Feel free to get in touch with me on WhatsApp/Viber number: +9779844128670

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn more
Ok, Go it!